देखकर आज भी हैरान हूं मैं आईने का जिगर,
एक तो तेरी कातिल सी नजर, उस पर काजल का कहर...!!
कैसे कहु के दिल को तुम्हारी आरजू नही,
मगर ये और बात है के, मेरी किस्मत में तुम नहीं...!!
ये इश्क भी क्या चीज़ है ग़ालिब,
एक वो है जो धोखा दिए जाते हैं,
और एक हम है, जो मौका दिए जाते हैं…!!
तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता...!!
देख पगली ! गाज़र का हलवा और जवानी का जलवा,
दोनों होश उड़ा देते है...!!
बुलाया था उन्होंनें अपने लोगों को उस महफिल में,
हम गैर , वहाँ जाकर भी क्या करते...!!
मुहब्बत नहीं है नाम सिर्फ पा लेने का,
बिछड़ के भी अक्सर दिल धड़कते हैं साथ-साथ...!!
ना मुस्कुराने को जी चाहता है,
ना आंसू बहाने को जी चाहता है,
लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में,
बस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है...!!
जानबूझ कर तोड देता था मैँ अपनी पेन्सिल की नोक क्योकि,
उस पगली से शार्पनर माँगने का मज़ा ही कुछ और होता था...!!
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