मत पुछ ऐ चांद हमसे युं सारी रात जागने की वजह…..!
तेरा ही हमशक्ल है वों जो मुझे सोने नही देता..!!
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मुसीबतों से निखरती है शख्सियत यारों..!
जो चट्टानों से न उलझे.. वो झरना किस काम का….!!
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शेर पढ़कर वाह-वाह कर के भूल जाते हो तुम अगले ही पल में….!
कौन जाने उस शेर के लिए शायर कितना रोया था….!!
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उसकी याद करता हूँ तो शराब भी साथ छोड़ देती है….!
हँस के कहती है बस कर अब पगले ये गम मिटाना मेरे बस की बात नहीं….!!
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एक तेरे बगैर ही ना गुज़रेगी ये जिंदगी….!
बता मैँ क्या करूँ सारे ज़माने की मोहब्बत लेकर….!!
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मेरे हाथ महकते रहे तमाम दिन….!
जब ख्वाब में तेरे बाल संवारे मैंने…!!
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