“उम्मीदों” से बंधा, एक जिद्दी परिंदा है इंसान,
जो घायल भी “उम्मीदों” से हे और,
जिन्दा भी “उम्मीदों” पर हैं…!!
———————————————
उन्होंने तो हमें धक्का दिया था डुबाने के इरादे से,
अंजाम ये निकला हम तैराक बन गए…!!
———————————————
कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर,
मेरा अपना साया भी धूप में आने से मिला !!
———————————————
सबको फिक्र है अपने आपको सही साबित करने की,
जैसे ज़िन्दगी नहीं कोई इल्ज़ाम है…!!
———————————————
परिंदों को ज़ंजीरें नहीं, ये पिंजरा सताता है,
आ अब उड़ चलें कहीं ये आसमां बुलाता है…!!http://www.whatsappshayari.com
