किस्मत आज़माते-आज़माते थक गये हों…!
तो कभी ख़ुद को आज़माईये, नतीजे बेहतर होंगें…!!
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मैं भी हुआ करता था वकील इश्क वालों का कभी…!
नज़रें उस से क्या मिलीं आज खुद कटघरे में हूँ…!!
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कोई इतना अमीर नही, की अपना पुराना वक्त खरीद सके…!
कोई इतना गरीब नही, की अपना आने वाला वक्त न बदल सके…!!
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पिताजी ने यह कह कर घर की चोखट छोटी रखी ,
कि ……………
बेटा झुकने से ही ऊँचाइयाँ मिलती हैं।
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कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ तो भी कोई बात नहीं…!
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं बाँट दिया करते है…!!!
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मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है?
ज़िद तो उसकी है … जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं…
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कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
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हुकुमत वो ही करता है जिसका दिलो पर राज हो…!!
वरना यूँ तो गली के मुर्गो के सर पे भी ताज होता है…!!
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तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है
आखरी सास तक तेरा इंतजार करू !
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