अजीब सौदागर हैं ये वक़्त भी।।
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया ।।
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आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।
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न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला….
वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए…
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आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की,
ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे
तो ज्यादा तकलीफ ना हो !!
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इंसान को बोलना सीखने में दो साल लग जाते हैं
लेकिन, क्या बोलना है, यह सीखने में पूरी ज़िन्दगी निकल जाती है..http://www.whatsappshayari.com
